देखो बच्चों इस भूमि का कर्ज चुकाना है।
भारत माँ को दुनिया में, मूर्धन्य बनाना है।।
कुंठा और अभिमान से हम निश्चित ही दूर रहें।
दुख के झंझावातों को भी हों मजबूत सहें।
अपने राष्ट्र को हमने तो सर्वस्व ही माना है।
भारत माँ को दुनिया में, मूर्धन्य बनाना है।।
भारतीय संस्कारों से हम ओत-प्रोत होंगे।
देश के नागरिकों के लिए ऊर्जा का स्रोत होंगे।
हर दृष्टि से अपने को मजबूत बनाना है।
भारत माँ को दुनिया में, मूर्धन्य बनाना है।।
कायरता को जीवन में स्थान नही देंगे।
दुष्ट और शत्रु को भी सम्मान नहीं देंगे।
सबके मन में शत्रु का आतंक मिटाना है।
भारत माँ को दुनिया में, मूर्धन्य बनाना है।।
धोखे से भी यदि कोई दुश्मनी निभायेगा,
गल्ती करेगा बाप तो बेटा भी पछतायेगा।
मातृ-भूमि स्त्रीत्व दिखता, स्वभाव मर्दाना है।
भारत माँ को दुनिया में, मूर्धन्य बनाना है।।
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